शादियों के इस सीजन में कई बार कुछ ऐसी अनोखी बातें देखने को मिलती है जिसको देखकर लोगों को यकीन नहीं होता कि यह अचानक से ऐसा क्या हो गया। दरअसल हाल ही में उसका नजारा देखने को मिला जब दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के साथ फेरे लेते नजर आ रहे थे और सब कुछ विधि पूर्वक संपन्न हो रहा था। लेकिन जैसे ही दुल्हन के फेरे समाप्त हुए उसके बाद वह पति के साथ ससुराल ना जाकर काउंसलिंग करवाने पहुंच गई। जिसको देखकर हर कोई यह सोचता नजर आया कि आखिर पत्नी ने यह बड़ा कदम क्यों उठाया क्योंकि शादी के बाद उसे अपने पति के साथ ससुराल जाना था लेकिन वह अपने पति को छोड़ काउंसलिंग के लिए पहुंच गई। आगे आपको बताते हैं यह दूल्हे और दुल्हन की जोड़ी कहां पर देखने को मिली जहां दुल्हन ने शादी के तुरंत बाद ससुराल ना जाकर काउंसलिंग करवाया और कुछ ऐसा किया जिसको देखकर सभी लोग उसकी तारीफ करते नजर आए।
प्रज्ञा तिवारी शादी के बाद नहीं गई ससुराल, इसलिए पहुंची काउंसलिंग करवाने
सोशल मीडिया पर हाल ही में गोंडा के बाराबंकी में रहने वाली प्रज्ञा तिवारी की एक कहानी बहुत तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें बीते दिनों में प्रज्ञा तिवारी ने दुल्हन बनकर ससुराल जाने का निर्णय लिया था। लेकिन शादी के फेरों के समाप्त होते ही वह दूल्हे की गाड़ी में बैठने के बजाय काउंसलिंग करवाने के लिए सरकारी दफ्तर चली गई जिसके लिए दूल्हा भी रुक गया और यह सोचता नजर आया कि आखिर क्यों उसकी पत्नी उसके साथ ससुराल ना जाकर काउंसलिंग ऑफिस क्यों चली गई। थोड़ी देर के लिए पूरे बरात और परिवार में ऐसा माहौल हो गया कि लोगों को कुछ पता ही नहीं था कि आखिर प्रज्ञा ने यह बड़ा कदम क्यों उठाया। आइए आपको बताते हैं प्रज्ञा तिवारी ने आखिर क्यों शादी के बाद अपने ससुराल ना जाकर पहले काउंसलिंग ऑफिस जाना ही सही समझा और जैसे ही वह उधर से वापस आई तब सभी के चेहरे पर दोगुनी मुस्कान लौट आई।
काउंसलिंग ऑफिस से दोगुनी मुस्कान लेकर लौटी प्रज्ञा, पति भी हो गया गदगद
गोंडा के बाराबंकी जिले में प्रज्ञा दुल्हन के रूप में अपने पति के साथ फेरे ले रही थी और उसके बाद मांग में सिंदूर लगते ही विदाई की तैयारियां जोरों शोरों से होने लगी थी लेकिन प्रज्ञा के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था क्योंकि प्रज्ञा को ससुराल ना जाकर एक ऐसी जगह जाना था जहां पर उनका भविष्य तय होना था और इसी वजह से जैसे ही प्रज्ञा की शादी पूरी हुई तब वह भागती हुई काउंसलिंग ऑफिस पहुंच गई क्योंकि वहां पर प्रज्ञा की काउंसिलिंग होनी थी और वहां जाकर जैसे ही प्रज्ञा ने अपना हस्ताक्षर किया तब उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई जिसको देखकर वह फूले नहीं समा रही थी। प्रज्ञा ने बताया कि वह शादी के तुरंत बाद नहीं जाती तो जरूर वह दफ्तर बंद हो जाता जिसकी वजह से उन्हें अपना सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता। मांग में सिंदूर सजाये और हाथों में सरकारी नौकरी का लेटर लेकर हंसी-खुशी प्रज्ञा अपने ससुराल रवाना हुई जिसको देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता नजर आया।